लाइफ स्टाइल में चेंज से भी बढ़ती है इम्यूनिटी दूब घास और अश्वगंधा है सबसे बड़ा एंटी ऑक्सीडेंट

साल भर से अधिक समय से लोगों ने काढ़ा, हल्दी, गिलोय और तुलसी आदि का प्रयोग शुरू कर दिया है ताकि वह अपनी इम्यूनिटी बढ़ा सकें और कोरोना महामारी का सामना कर सके. इम्यूनिटी बढ़ने से ना केवल कोरोना महामारी से लड़ने में मदद मिलती है बल्कि शरीर को अन्य बीमारियों से भी सुरक्षित रखने में सहारा मिलता है. इम्यूनिटी के बारे में कहा जाता है कि यह बच्चों और बुजुर्गों में कम होता है जबकि युवा लोगों में इम्यूनिटी अधिक होता है. जिसके कारण वह रोगों की चपेट में आने से बच जाते हैं. इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए जहां देशी मसाले जिनमें अजवाइन, लौंग, हल्दी, काली मिर्च, अदरक आदि का लोग प्रयोग कर रहे हैं, तो वही जानकारों का कहना है कि उचित आहार-विहार करके अपने लाइफ स्टाइल में परिवर्तन करके भी इम्यूनिटी को बढ़ाया जा सकता है. आधुनिक मेडिकल विज्ञान सिर्फ शारीरिक इम्युनिटी बढ़ाने की बात करता है. जबकि आयुर्वेद में तीन प्रकार के इम्यूनिटी की बात की गई है जिसमें पहली इम्यूनिटी शारीरिक होती है. दूसरी मानसिक होती है जबकि तीसरी आध्यात्मिक इम्यूनिटी होती है. यदि हम भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार उचित आहार-विहार करें तो यह तीनों प्रकार की इम्युनिटी बढ़ती है. मैं आपको बताना चाहूंगा एथेंस में एक बार जब महामारी आई तो बहुत लोगों की मौत हुई लेकिन सुकरात का कोई नुकसान नहीं हुआ. कारण की सुकरात की तीनों प्रकार की इम्यूनिटी विकसित थी और वह लोगों की जान बचाने में लगे हुए थे.
डॉक्टर श्रीकांत श्रीवास्तव, पीजीआई, लखनऊ जानकारों का कहना है कि दूब घास और अश्वगंधा दुनिया में सबसे अधिक एंटी ऑक्सीडेंट वाले औषधि हैं. इनका प्रयोग किया जाए तो अमीर गरीब कोई भी अपनी इम्यूनिटी बढ़ा सकता है. दूब का अनेक बीमारियों के इलाज में प्रयोग किया जाता है. इसके बारे में आयुर्वेद में विस्तार से वर्णन किया गया है. इसके रस का प्रयोग जूस आदि के माध्यम से किया जा सकता है. कई बार सिर में दर्द या आंखों में जलन आदि का उपचार दूब की पट्टी बांधकर किया जाता है. सहजन की सब्जी और उसके पत्ते अनेक रोगों के लिए रामबाण का कार्य करते है. इसके अलावा संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉ श्रीकांत श्रीवास्तव बताते हैं कि सहजन के पत्ते का रस शुगर और हाई ब्लड प्रेशर बेहद लाभकारी साबित होता है, जबकि सहजन की सब्जी फायदेमंद होने के साथ ही इम्युनिटी बढ़ाने में अत्यंत लाभदायक है. इसी प्रकार पालक, सरसों और चने का साग भी मल्टीविटामिन जिंक आदि की आपूर्ति करते हैं. मौसम के अनुसार जो फल आते हैं यदि उनका भी हम प्रयोग करें तो बीमारियों की चपेट में आने से काफी हद तक बचे रह सकते हैं. आयुर्वेद के अनुसार उचित आहार-विहार करना सबके लिए अनिवार्य है. यदि हम समय पर सोना जागना और शुद्ध सात्विक भोजन करते हैं. नियमित योग प्राणायाम करते हैं तो हमारी तीन प्रकार से इम्यूनिटी विकसित होती है जोकि ना केवल शारीरिक बीमारियों से बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक समस्याओं से भी मुक्त बचाती है.
अरविंद राय, योग अभ्यासी

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