राममंदिर तोड़ने वाले बाबर की होमोसेक्सुअल्टी की कहानी, कौन था उसका पुरुष प्रेमी

सल्तनत काल के बाद मुगल काल की नींव रखने वाला बाबर समलैंगिक था। कहा जाता है कि बाबर अपने समलैंगिक साथी को लेकर शेरो-शायरी भी लिखा करता था। हाल ही में काशी के एक विद्वान की तरफ से इस पर चर्चा करने से मामला गरम हो गया है। मुगल बादशाह बाबर का पूरा नाम जहीरुद्दीन मोहम्मद बाबर था जिसका जन्म 14 फरवरी 1483 को अंदिजान वर्तमान उज्बेकिस्तान में हुआ था। वह हिंदुस्थान का बादशाह बनने आया था। लेकिन शुरुआती लड़ाईयों में उसे शिकस्त खानी पड़ी थी। एक दौर ऐसा भी आया कि वह भागकर अपनी जान बचाने अवध में सरयू किनारे ठहरा हुआ था। जहां उसे पता चला कि अयोध्या में दो फकीर है जिनकी दुआ मिल जाए तो वह हिंदुस्थान का बादशाह बन सकता है। वह बादशाह बन भी गया और अयोध्या में मंदिर का विध्वंस भी कराया।
बाबर के समलैंगिक होने की कहानी बाबर के समलैंगिक होने की कहानी खुद उसकी जीवनी बाबरनामा से पता चलता है। बाबर अपने समलैंगिक पार्टनर के प्रेम में शेरो-शायरी किया करता था। दरअसल बाबर को निकाह और शादी-शुदा जिंदगी में खास दिलचस्पी नहीं थी। हांलाकि उसने आयशा से निकाह किया था और निकाह के तीन साल बाद एक बेटी पैदा हुई, लेकिन पैदा होने के एक माह बाद ही उसकी मौत हो गई। इसके बाद ही बाबर का शादीशुदा जिंदगी से विरक्ती हो गया। 14 साल के लडक़े को देखकर बाबर सुधबुध खो बैठा बाबरनामा में बादशाह लिखता है कि वह बाजार से गुजर रहा था तो एक 14 साल के लडक़े को देखा। उसे देखकर मै पागल हो गया, वह मेरे पास आता तो मेरी जुबान लडख़ड़ाने लगती। मै सुधबुध खो बैठा। वह मेरी आदत बन गया, उसके बिना मै नहीं रह पाता। जबकि बीबी से मुलाकात महीने दो महीने पर होती, लेकिन लडक़े से रोज मिलना चाहता था। बीबी से लड़ाई भी हुई। बाद में आयशा बेगम को तलाक दे दिया।
17 साल का दूसरा लडक़ा, जिसे देखते ही औरतों की तरह शरमा जाता बाबर को एक दूसरे लडक़े से भी प्रेम हो गया। बाबरनामा में वह लिखता है कि कैसे 17 वर्षीय युवक के प्रेम में वह पड़ गया। उसका नाम बाबरी आंदीजानी था। वह लिखता है कि उर्दू बाजार में उस लडक़े से प्यार हो गया। वह जब भी मेरे सामने आता मै शर्म के मारे उसे देख नहीं पाता था। मुगल इतिहास के जानकार पत्रकार डॉ मनोज तिवारी बताते है कि दरअसल बाबरी अंदीजान नाम के जगह का गुलाम था। जिसे बाबर ने मुक्त कराकर उसे घुड़सवारी सिखाया और घुड़साल की जिम्मेदारी दे दी थी। जब वह अवध की तरफ बढ़ रहा था, अयोध्या में श्रीराम मंदिर का विध्वंस कर रहा था। उसी समय बाबरी अंदीजान की मौत हो गई। जिसकी याद में बाबर ने बाबरी मस्जिद का नाम बाबरी रखा था।

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