भूकंप कैसे आता है? इधर जानिये !

भूकंप एक प्राकृतिक घटना है जो घोर तबाही और भयानक परिणामों का कारण बन सकती है। यह बुराई के साथ-साथ विज्ञान के एक रोचक विषय भी है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम भूकंप के आविष्कार के पीछे की विज्ञान की जांच करेंगे, यह कैसे होता है और इसके तीव्रता में क्या कारक योगदान करते हैं। भूकंप क्या होता है?
भूकंप धरती की सतह को अचानक और तीव्र तरंगों से हिलने वाला एक प्राकृतिक घटना होता है, जो पत्थरों में भंडारित ऊर्जा के उद्योग से होता है। यह ऊर्जा भूकम्प के केंद्र से फैलती है, जहां ऊर्जा मुक्त होती है। भूकंप के केंद्र से उपर की धरती की सतह को इसका असर पूर्णतः महसूस किया जाता है। भूकंप कैसे होते हैं?
धरती की परत टेक्टोनिक प्लेटों से बनी होती है जो एक दूसरे से संघर्ष करती हैं और एक दूसरे के साथ संवाद करती हैं। इस तरह के आक्रमण के कारण प्लेट में टूट जाती है और दोनों टुकड़ों में तनाव बनता है। इस तनाव के कारण जमीन की पृथक उपचारित अंग में ऊर्जा एकत्रित होती है और यह ऊर्जा धीरे-धीरे जमीन के अंदर फैलती है। इस प्रक्रिया के दौरान ऊर्जा का एक भाग शेष रहता है जो भूकंप के समय उत्सर्जित होता है। अधिकतम तीव्रता और अधिकतम असामान्यता की अवस्था में, जमीन के उपरी अंग के समन्वय और सुसंगतता के तंत्र में बदलाव होता है। इस प्रक्रिया के दौरान, जमीन के तरल भाग में झुलसाव होता है और जमीन के सतह को जोरदार झटके लगते हैं जिससे भूकंप का समय अनुभव होता है। भूकंप की तीव्रता कैसे निर्धारित की जाती है?
भूकंप की तीव्रता को रिक्टर स्केल या मर्साल गरेड आदि स्केल का उपयोग करके मापा जाता है। रिक्टर स्केल में भूकंप के अधिकतम तीव्रता को 9 तक का आंकड़ा दिया जाता है। उदाहरण के लिए, नेपाल भूकंप 2015 की तीव्रता 7.8 रिक्टर स्केल थी। मर्साल गरेड स्केल में भूकंप की तीव्रता को मापा जाता है और इसमें 12 तक के आंकड़े दिए जाते हैं। यह स्केल अधिकतम भूकंपों को मापने के लिए उपयोग किया जाता है। इस प्रकार, भूकंप के जन्म से लेकर उसकी तीव्रता और स्थान के बारे में हमें पता चल जाता है। भूकंप से संबंधित जानकारी हमें उसके नियंत्रण और उससे बचने की योजनाओं को तैयार करने में मदद करती है। संकल्पना के रूप में, भूकंप के कारणों और उससे बचाव के उपायों को समझना आवश्यक है। जो लोग भूकंपों से प्रभावित होते हैं, उन्हें इस संघर्ष का सामना करना होता है जो भूमि के साथ जुड़ा हुआ है। इसलिए, सही जानकारी एवं संचार के माध्यम से हम सभी भूकंप से बच सकते हैं और जीवन की सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकते हैं।

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