इस दशक की दिशा तय करेगा यह बजट
सदी के दूसरे दशक की शुरुवात दुनिया के लिए अत्यंत कठिन रहा है। एक वायरस ने पूरी दुनिया को एक तरह से बंदी बना लिया और जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में घोषित अघोषित लॉक डाउन की स्थिति पैदा हुई। भारत ने इस चुनौती का सामना सफलतापूर्वक किया है, और दुनिया के अनेक देशों का सहयोग भी किया है। हालांकि चुनौती अभी खत्म नहीं हुई, साल 2023 की शुरुवात में ही इसके नए रूप ने दस्तक भी दे दिया है। लेकिन इस बार हम तैयार हैं, हमारे चिकित्सकीय तंत्र, प्रशासनिक विभाग, सरकार के स्तर पर लगभग सभी बिंदुओं पर हम इससे निपटने को तैयार हैं। सबसे बड़ी बात अब जनता में इसे लेकर जागरूकता है, तो मानसिक तैयारी भी है।
हमे इस चुनौती से लड़ते, पार पाते आगे बढ़ना है। रुकना नहीं है और आगे बढ़ते जाना है। यह वर्ष 2023 भारत के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण होने वाला है और आने वाले समय के लिए नींव का कार्य करेगा। स्वास्थ्य चुनौती के बीच भारत को समूह 20 (जी 20) की अध्यक्षता मिली है और आगामी दिनों में भारत में इसका सम्मेलन होने जा रहा है। यह कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की भावी भूमिका को और ऊंचाई प्रदान करेगा। भारत के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर है जब वह अपने अंतरराष्ट्रीय व्यापार और संबंधों को गुणात्मक रूप से अर्थपूर्ण स्थापित कर सकेगा। हमारी अर्थव्यवस्था दिनोदिन मजबूत हुई है और हम एक बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में पहचाने जाने लगे हैं, ऐसे में इस अवसर का लाभ अंतरराष्ट्रीय संबंधों को अपने हितों के अनुकूल करने में किया जा सकता है।
इसके अलावा इस साल हमारे घरेलू स्तर पर मूल्यों को नियंत्रित करना और न्यूनतम समर्थन मूल्य को भी बरकरार रखना एक बड़ी चुनौती है।
इससे सीधे तौर पर महंगाई और आम आदमी जुड़ा हुआ है। नए साल में सरकार की पहली प्राथमिकता महंगाई से निपटना होगा। 2023 में खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों को काबू में करना और देश में आर्थिक विकास दर लाना सरकार के सामने बड़ी चुनौती है। अगर बीते 2022 के परिदृश्य को देखा जाए तो सरकार के लिए इन दोनों चुनौतियों से निपटना आसान नहीं होगा। 2022 में रिकॉर्ड तोड़ महंगाई से जनता को बेहाल कर रखा है। रिजर्व बैंक ने महंगाई की दर 6 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद महंगाई कम होने का नाम नहीं ले रही। महंगाई पर ब्रेक नहीं लगने के कारण सप्लाई चेन के प्रभावित होने की आंशका बढ़ने लगी है। पिछले दिनों रिजर्व बैंक ने ब्याज दरें बढ़ाकर महंगाई को काबू में करने के जो भी प्रयास किए है वह अब तक विफल ही साबित हुए है। आर्थिक विकास का पहिया तेजी से आगे बढ़ाने के लिए सरकार पर आम बजट में कुछ बड़े कदम उठाने होंगे। इसके अलावा आरबीआई को भी आने वाले समय कुछ बड़े कदम उठाने ही होंगे वहीं सरकार को बजट में भी कुछ बड़े एलान करने होंगे। वित्तमंत्री को बजट में ऐसे क्षेत्र (निर्माण, रियल एस्टेट, उत्पादन) में फंडिंग बढ़ानी होगी जिससे विकास और क्रय बढ़ने की संभावना ज्यादा हो।
इसके अलावा देश में प्रति वर्ष करीब सवा करोड़ की दर से बढ़ रही बेरोजगा आबादी को जोड़ते हुए रोजगार के मोर्चे पर भी जूझना होगा। देश में एक तरफ युवा बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है वहीं रोजगार के अवसर कम होते जा रहे है दिसंबर महीने में देश में बेरोजगारी दर अब तक सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है। दिसंबर के पहले तीन हफ्तों में वर्क फोर्स के मुकाबले बेरोजगारी दर 8% से भी ज्यादा रही है। भारत में बेरोजगारी के बढ़ते आंकड़े डराने वाले है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के डेटा के अनुसार दिसंबर में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर रिकॉर्ड 10.9% तक पहुंच गई। वहीं इसी अवधि में ग्रामीण बेरोजगारी दर 8.4% रही, जबकि नवंबर में यह दर 7.6% ही थी। यह साल बीतते बीतते सरकार के सामने आम चुनाव आकर खड़े हो जाएंगे। साल 2024 नई लोकसभा के गठन का होगा जिसके लिए सरगर्मी इसी साल के मध्य के बाद बढ़नी शुरू हो जाएगी। जाहिर तौर पर वर्तमान केन्द्र सरकार की अब तक की उपलब्धता जनता के लिए कसौटी पर होंगी तो दूसरी तरह साल 2023 में अंतरराष्ट्रीय मंच पर हमारी भूमिका और उसके प्रभाव, महंगाई, बेरोजगारी सहित आम आदमी के जीवन में आए सुखद परिवर्तन लोकसभा चुनाव की कसौटी पर होंगे। कुलमिलाकर कहा जाए तो यह साल इस दशक की दशा और दिशा तय करने वाला बेहद महत्वपूर्ण होने वाला है।
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