पेट्रोल से 25 गुना अधिक प्रदूषण छोड़ती हैं डीजल कारें


 गुड़गांव सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लगातार बढ़ते प्रदूषण में सर्वाधिक योगदान डीजल वाहनों का है। यह खुलासा एक संस्था के शोध में हुआ है जिसने हवा में जहरीले तत्वों का अध्ययन किया है। इंटरनैशनल सेंटर फॉर आॅटोमोटीव टेक्नालाजी नामक संस्था की ओर से किए गए सर्वे में पाया गया है कि एक एसयूवी डीजल कार उतना ही नाईट्रोजन के आक्साईड का उत्सर्जन करती है जितना कि 25 पेट्रोल चालित कारें करती हैं। हांलाकि गुड़गांव की बात करें तो यहां पर तकरीबन 40,000 से 60,000 डीजल चालित ऑटो अबभी सड़कों पर जहर उगल  रहे हैं जो गुड़गांव सहित पूरे एनसीआर के ही प्रदूषण में योगदान दे रहे हैं।
देश की साईबर सिटी कहे जाने वाले शहर का दम प्रदूषण से घूंटता रहा है। लोगों में न केवल सांस की तकलीफ बल्कि मनोरोग की शिकायते  समाने आने लगी हैं। समय के साथ वाहनों की संख्या में जहां लगातार बढोत्तरी हुई है तो वहीं ट्रैफिक जाम, वाहनों से निकलने वाले धुंए ने साईबर सिटी का दम घोंट दिया है। प्रदूषण को रोकने के लिए किया जा रहा प्रशासन की कोशिशें •ाी नाकाफी हैं। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण की ओर से जारी दिशा निर्देशों के अनुपालन में जगह-जगह पेड़-पौधे तो लगाए जाते हैं साथ ही हाइवे के किनारे प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ग्रीन बेल्ट बनाने का प्रयास किया गया है लेकिन देखरेख के अ•ााव में जल्दी ही पौधे सूख जाते हैं।
प्रदूषण के कारण बढ़ रही नई तरह की बिमारियां
वाहनों से निकलने वाले धूएं, जनरेटर और कंस्ट्रस्क्शन के कारण हवा में लगातार जहर घुल रहा है। आमतौर पर देखा यह जाता था कि प्रदूषण के कारण सांस की
तकलीफें, सीने में दर्द अथवा सिरदर्द जैसी परेशानियां होती थी लेकिन अब साईबर सिटी के युवा नई तरह की समस्याओं की शिकायत करते हैं। साईबर सिटी में स्थित विप्रो कंपनी में कार्यरत महेश मिश्रा कहते हैं कि प्रदूषण के कारण मेमोरी लॉस और चिड़चिड़ापन की समस्या बढती जा रही है।
विदेशों में अब डीजल वाहनों का चलन कम हो गया है
दुनियां के कई देशों में सड़क, परिवहन और प्रदूषण को लेकर सर्वे करने वाली संस्था का कहना है कि दुनियां की सबसे हरियाली वाली राजधानी दिल्ली जानी जाती है लेकिन दुखद है कि यह सर्वाधिक वायु प्रदूषित राजधानी •ाी है। संस्था कहती है कि जिन देशों को अपने पर्यावरण की चिंता है वहां अब डीजल गाड़ियों का चलन कम हो गया है अथवा सरकार की ओर से उन पर •ाारी टैक्स लगाकर महंगा कर दिया गया है। जबकि कई देश अब सोलर चालित करों को बढ़ावा देने लगे हैं।

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