हवा में जहर घोल रहे डीजल ऑटो

पंद्रह से बीस साल पुराने ऑटो दौड़ रहे हैं गुड़गांव में 
 शहर में डीजल से चलने वाले 4० हजार से अधिक ऑटो दिनरात हवा में जहर घोल रहे हैं और प्रदूषण रोकने के तमाम कवायदों पर पानी फेर रहे हैं। शहर में वायु प्रदूषण का स्तर 4०० पीएम 2.5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच चुका है। तो वहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लगातार तीन साल से गुड़गांव को देश का सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर घोषित कर रखा है। प्रदूषण के कारणों में बड़ा कारण किसानों की ओर से जलाई जाने वाली पराली को बताया जा रहा है जबकि पराली जलाने से महज 5 फीसद प्रदूषण में इजाफा होता है। जबकि हवा में जहरीले तत्वों की मात्रा में इजाफा करने के लिए यातायात जाम और हजारों की तादात में कंडम डीजल ऑटो का बड़ा योगदान है।
उल्लेखनीय है कि गत दो वर्ष पूर्व राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने डीजल ऑटो बंद करने की सिफारिश सरकार के पास भेजी थी। यहां तक कि वर्ष 2०17 में सरकार की ओर से घोषणा भी की गई थी कि एनसीआर से सटे हरियाणा के शहरों में डीजल से चलने वाले ऑटो बंद कर दिए जाएंगे। जिन वाहनों में सीएनजी नहीं होगा उनको नहीं चलने दिया जाएगा। लेकिन सरकार की योजना आटो यूनियनों के आगे ठंढे बस्ते में चली गई। गुड़गांव की सड़कों पर कंडम डीजल ऑटो का कब्जा है जो न केवल प्रदूषण में इजाफा कर रहे हैं बल्कि यातायात नियमों की जमकर अनदेखी करते हैं। गत दिनों राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सुझाए दिया था कि डीजल ऑटो का रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया जाए और जिस डीजल ऑटो को दस वर्ष से ज्यादा हो गए हैं उन्हें सड़क से हटा दिया जाए।
हड़ताल के दौरान घट गया था प्रदूषण 
गत दो वर्ष पहले अगस्त माह में 29-3० तारीख को शहर में डीजल ऑटो वालों की हड़ताल रही थी। तो शहर में 29 अगस्त को प्रदूषण की मात्रा 18.57 पीएम 2.5 रही थी और 3० अगस्त को 17.52 पीएम 2.5 वायु प्रदूषण दर्ज किया गया था। इसी तरह अन्य कई मौकों पर ऑटो चालकों ने हड़ताल किया है तो प्रदूषण की मात्रा में आश्चर्य जनक गिरावट आई है।

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