1० हजार पेड़ काटे गए तो कैसे थमेगा प्रदूषण


सड़क चौड़ीकरण के नाम पर रातोंरात काटे गए थ्ो 4०० पेड़
इफको चौक, सिग्नेचर टॉवर, राजीव चौक पर काटे गए तकरीबन 5 हजार वृक्ष
 किंबदंतियों में आज भी ब्रम्ह राक्षस पेड़ों पर ही रहता है, इसी भय से पेड़ के पत्ते तोड़ने में भी लोग भयभीत रहते थ्ो। आखिर वह कौन है ब्रम्हराक्षस? पर्यावरण को लेकर काम करने वाले कार्यकताã कहते हैं कि यह और कोई नहीं प्रदूषण का राक्षस ही था जिसे पेड़ अपने से बांध कर रखते थ्ो। लेकिन जब साईबर सिटी की सड़कों, चौराहों को अपडेट करने के नाम पर रातोंरात हजारों पेड़ काट दिए जाएंगे तो प्रदूषण का प्रेत सड़कों पर ही बसेरा बनाएगा। गत साल भर के आंकड़े पर गौर किया जाए तो गुड़गांव क्ष्ोत्र में तकरीबन दस हजार पेड़ काट दिए गए जबकि अरावली क्ष्ोत्र में रातोंरात सरकारी दीमकों के चाटने से गायब हो रहे पेड़ों की गणना इसमें नहीं है।
इफको चौक, सिग्नेचर टॉवर और राजीव चौक को अपग्रेड करने और यहां पर फ्लाईओवर, अंडरपास निर्माण को लेकर रातोंरात ही 47०3 वृक्ष काटे गए। इन पेड़ों को काटने के बजाए वैज्ञानिक तरीके से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किए जाने को लेकर पर्यावरणवादियों ने जब संबंधित विभागों से गुहार लगाया तो जबाव मिला कि टàांसप्लांट किए जाने से प्रोजेक्ट का खर्चा बढ जाएगा। इसीप्रकार दिल्ली की ओर से जाने वाल्ो शंकर चौक पर सर्विस रोड को चौड़ा करने के नाम पर 7०० पेड़ों को धराशायी कर दिया गया था। गोल्फ कोर्स रोड को अपडेट करने के नाम पर 4,००० से अधिक पेड़ों को अंधाधुंध काट दिया गया। इफको चौक से लेकर सेक्टर 17 ओल्ड गुड़गांव से लगता हुआ क्ष्ोत्र है जहां सड़क चौड़ीकरण के नाम पर रात भर में ही 4०० पेड़ों की बलि चढ़ा दी गई।
पौधारोपड़ की औपचारिकता की गई पूरी 
वन विभाग के नियमों के अनुसार जितने पेड़ काटे जाते हैं उनकी दुगुनी संख्या में पौधा रोपड़ किया जाना चाहिए। इफको चौक, राजीव चौक और सिग्नेचर टॉवर पर काटे गए पेड़ो के बराबर ही दूसरी जगह पौध्ो आरोपित किए जाने को लेकर नेशनल हाईवे अथॉरिटी आफ इंडिया ने हुडा को मोटी रकम भी अदा की थी। हुडा के बागवानी विभाग को 6738,००० रुपए दिए जो कि बाद में बढकर 74194०० रुपए हो गया। मजे की बात यह है कि जिन स्थानों पर पेड़ काटे गए वहां से तकरीबन 25 से 3० किमी दूर इन पौधों के रोपड़ की औपचारिकता पूरी कर दी गई। एनपीआर मास्टर रोड सेक्टर 96 से सेक्टर 115 तक और वाटर टàीटमेंट प्लांट में पौधों के रोपड़ की कोरमपूर्ति कर दी गई।
कितना बचा है वनक्ष्ोत्र 
राज्य के कुल 13 जिलों में अरावली के 39,5०० हेक्टेयर भूमि में से तीस हजार हेक्टेयर भूमि पर सवा तीन करोड़ पौध्ो लगाए गए थ्ो। लेकिन गत दस सालों में देखा जाए तो गुड़गांव क्ष्ोत्र में विभिन्न कारणों से आठ फीसदी हरियाली का नुकसान हुआ है। वन विभाग के रिकार्ड के अनुसार 1,6०० हेक्टेयर क्ष्ोत्र वनाच्छादित है जिसमें शहरी क्ष्ोत्र में मात्र दो फीसद है। भारतीय वनक्ष्ोत्र सर्वेक्षण की रिर्पोट के अनुसार हरियाणा के कुल 3.9 वनक्ष्ोत्र में सिर्फ 2.9 फीसदी ही वनाच्छादित पाया गया है। जबकि डेढ़ दशक पहले ही तकरीबन सवा तीन करोड़ पौधारोपड़ अरावली के 3० हजार हेक्टेयर भूमि पर किया गया था।
अरावली क्ष्ोत्र में सक्रिय है वनमाफिया 
गत डेढ़ दशक पहले तकरीबन 175 करोड़ रुपए खर्च करके लगाए गए पौध्ो कहां गुम हो गए। राज्य में लगातार घटते वनक्ष्ोत्र को लेकर एनजीटी भी लगातार चिंता प्रगट करता रहता है। सिर्फ गुड़गांव में पौधारोपड़, हरियाली, ग्रीन कारिडोर, ग्रीन लंग्स आदि के जुमलों से बड़े-बड़े अभियानों की घोषणा होती है, लेकिन न तो कहीं पौध्ो दिखाई देते हैं ना ही हरियाली दिखाई देती है। जिला में वन विभाग द्बारा लगभग 19० हैक्टेयर भूमि पर अरावली पर्वत श्रृंखला में शहरी वन विकसित करने की योजना थी, जो कहीं भी दिखाई नहीं देती।



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