विस्फोटक शहरीकरण मिलेनियम जिंदगी को बना देगा दूभर


धारणीय विकास के बिना चौपट हो जाएंगे विकास के दावे 
प्रदूषण, जैवविविधता, जलस्तर हर स्तर पर हो रही है छेड़खानी
 विस्फोटक दर से बढ़ रहे शहरीकरण के साथ जल, जंगल, जमीन अपने वजूद को खोते जा रहे हैं। गुड़गांव की हालत दिनोंदिन बदतर होती जा रही है। जननांकिकी विश्ोषज्ञों, समाजशास्त्रियों की माने तो यह जनसंख्या विस्फोट की तरह ही तीव्र शहरीकरण का विस्फोट है। तेज आर्थिक विकास, शहरीकरण के साथ पर्यावरण का विनाश और मानवीय संवेदनाओं का अंत होना समाज वैज्ञानिकों के अनुसार आवश्यक शर्त है। साईबर सिटी पर जहां पूरे देश की निगाहें टिकी रहती हंै, वहां की हालत अंधाधुंध विकास के कारण दिनोंदिन नारकीय होता जा रहा है। विकास के लिए जिम्मेदार एजेंसियों के लिए धारणीय विकास की अवधारणा बेमानी हो चुकी है।
पहल बार एनजीटी के आदेश पर गुड़गांव में हरियाणा स्टेट पाल्यूशन कंटàोल बोर्ड अर्थात एचएसपीसीबी ने शहर में प्रदूषण की हालत का जायजा लिया। शहर में चार जगह लिए गए नमूने में हालत चिंताजनक है। धीरे-धीरे हालात नारकीय होेते जा रहे हैं, हवा में जहर की मात्रा दिनोंदिन घुलती जा रही है। दूसरी तरफ पर्यावरण नष्ट हो रहे हैं, शहर और आसपास के इलाकों में हरियाली सिमटती जा रही है और गगनचुंबी इमारतों में लगातार इजाफा होता जा रहा है। वेस्ट टàीटमेंट से लेकर सॉलिड वेस्ट टàीटमेंट जैसे प्लांट लगाए जा रहे हैं, शहर को साफ सुथरा करने के लिए करोड़ों का बजट बनाया जा रहा है लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं। न तो बंधवाड़ी में कूड़े का पहाड़ बनने से रुक रहा है ना ही अरावली में चल रहे अवैध खनन पर रोक लग पा रही है। मानेसर और उद्योग विहार की चिमनियां काला जहर हवाओं में घोल ही रही हैं, रियल स्टेटे कारोबारी तो जैसे पर्यावरण और हरियाली को अपनी निजी जागीर समझकर खिलवाड़ से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसे म्ों यहां स्वस्थ मानव जीवन का सारा गठित ही फेल होता दिखाई दे रहा है।
चार स्थानों पर हुए सर्वे 
पहली बार गुड़गांव में राष्ट्रीय हरित न्यायालय के आदेश पर प्रदूषण के नमून लिए गए। शहर में चार स्थानों पर किए गए सर्वे में द्बारका एक्सप्रेस वे की खतरनाक है जहां आरपीएसएम (रेसपिरेटरी ससपेंडेड पार्टिकुलेट मैटर) सर्वाधिक 194 पाया गया तो सल्फर डाई आक्साईड की मात्रा 25 और नाईटàोजन आक्साईड 18 पाई गई जो अत्यंत जहरीला माना जाता है। वहीं, बस स्टैंड पर यह 156 आरपीएसएम रहा तो नाईट्रोजन की मात्रा 24 और सल्फर डाई आक्साईड 19 रही। रेलवे स्टैंड पर पर्टिकुलेट मैटर 182, सल्फर डाई आक्साईड 28 तो नाईटàोजन आक्साईड 23 पाया गया। कृष्णा चौक पर किए गए सर्वे में आरपीएसएम 144, सल्फर डाई आक्साईड 16 और नाईटàोजन आक्साईड 21 की मात्रा रिकार्ड की गई।
1०,००० डीजल जनरेटर, 4० हजार से अधिक डीजल ऑटो
शहर में दस हजार से अधिक संख्या डीजल जनरेटरों की बताई जाती है। भारी क्षमता के ये जनरेटर व्यावसायिक वाहनों से अधिक प्रदूषण में इजाफा कर रहे हैं। जानकारों का कहना है कि एक जनरेटर एक हैवी टàक के बराबर प्रदूषण फैलाता है। राजधानी दिल्ली में जहां सीएनजी दशक भर पूर्व अनिवार्य किया जा चुका है वहीं दिल्ली से सटे गुड़गांव में तकरीबन 4०,००० से अधिक डीजल से दौड़ रहे ऑटो पर्यावरण की शुद्धता को नष्ट कर रहे हैं। दिल्ली की तुलना में यहां प्रति हजार आबादी पर चार गुना अधिक कारें हैं जो लगभग हजार की आबादी पर 323 के करीब हैं।

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