कब शुरु होगी शहरी वन योजना


2०19 से 2० तक पूरा करने का था लक्ष्य
1०9 हैक्टेयर में विकसित होना था शहरी वन  साईबर सिटी में पर्यावरण प्रदूषण की अदृश्य समस्या जिस तरह विकराल होती जा रही है उसे रोकने और हरियाली को बढाने के लिए सरकार की योजनाएं भी मुरझाती जा रही हैं। साईबर सिटी में लगातार बढती आबादी, वाहनों का प्रदूषण, औद्योगिक वेस्टेज आदि के प्रदूषण से तो जूझ ही रहा है लगातार रियल स्टेट के बढèते कारोबार के कारण भी हरियाली नष्ट होती जा रही है। जिले में वन विभाग की ओर से लगभग 19० हैक्टेयर भूमि पर अरावली पर्वत श्रृंखला में 'शहरी वन’ विकसित करने की योजना थी जिसके प्रथम चरण में लगभग 58 हैक्टेयर भूमि पर गांव सिकंदरपुर घोसी में शहरी वन विकसित किया जाना था। लेकिन तकरीबन दो साल बीत जाने के बाद यह योजना फाईलों में ही मुरझा रही है।
वन विभाग द्बारा गुड़गांव जिला में अरावली पर्वत श्रृंखला में शहरी वन विकसित करने की योजना तैयार करके सरकार को भेजा गया था। गुड़गांव में सिटी फोरेस्ट अर्थात शहरी वन पिछले वित्त वर्ष से शुरू करके अगले चार वर्षो में चरणबद्ध तरीके से विकसित करने की योजना थी। यह परियोजना सन 2०19-2० तक पूरा करने का लक्ष्य रखा था। सिटी फोरेस्ट परियोजना के प्रथम चरण में लगभग 58 हैक्टेयर भूमि पर गांव सिकदरपुर घोसी में शहरी वन विकसित किया जाना था। जिसकी जमीन वर्तमान में नगर निगम गुड़गांव के पास है और नगर निगम द्बारा वन विभाग को शहरी वन विकसित करने के लिए यह जमीन हस्तांतरित करनी प्रस्तावित है।
तकरीबन 51 हैक्टेयर भूमि नगर निगम द्बारा फरीदाबाद के गांव गोठड़ा-मोहताबाद की 37.18 हैक्टेयर वन विभाग की उस भूमि के बदले में दी जाने की योजना प्रस्तावित है। जहां पर नया वनविभाग ठोस-कचरा प्रबंधन संयंत्र लगाया जाएगा। दिल्ली के निकट होने के कारण गुड़गांव में बहुत ज्यादा शहरीकरण हुआ है, इसलिए पर्यावरण के लिहाज से सिटी फोरेस्ट विकसित करना जरूरी है ताकि शहर को 'ग्रीन लंगस’ अर्थात सांस लेने के लिए हरियाली भी मिले।
हरित क्षेत्र में फिसडडी है हरियाणा 
पूरे देश में हरित क्ष्ोत्र को लेकर देखा जाए तो हरियाणा का नंबर दूसरा सबसे कम स्थान पर है। जो कि चिंताजनक स्थिति मानी जाती है। इसके बावजूद हरियाणा सरकार अपनी परियोजनाओं को लेकर ग्रीन बेल्ट के प्रति पूरी तरह उदासीन है। गत दस सालों में देखा जाए तो गुड़गांव क्ष्ोत्र में तेजी से हो रहे विकास कार्यो और नये-नये फ्लैट और कालोनियों के कारण आठ फीसदी से भी अधिक हरियाली का नुकसान हुआ है। वन विभाग के रिकार्ड के अनुसार 1,6०० हेक्टेयर क्ष्ोत्र वनाच्छादित है जिसमें शहरी क्ष्ोत्र में मात्र दो फीसद है। कुल आबादी, आवासीय क्ष्ोत्र और वनच्छादित क्ष्ोत्र को देखा जाएं तो सरकारी मानकों के हिसाब से गुरुग्राम शहर प्रदेश स्तर पर भी हरियाली के मामले में काफी पीछे है।

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