नब्बे के दशक में आरोपित अमेरिकी पौधे बन गए हैं पर्यावरण आतंकी

दिनोंदिन नष्ट होते वनक्ष्ोत्र को बचाने के लिए अरावली क्ष्ोत्र में वनारोपड़ का कार्यक्रम चलाए जाने की तैयारी है जिसमें 25 हजार देशी पौध्ो रोपे जाएंगे। पहले चरण में तकरीबन सौ हेक्टेयर भूमि पर अरावली क्ष्ोत्र में पायलट प्रोजेक्ट के तहत 25 हजार पौध्ों लगाए जाएंगे। इन देशी पौधों में ज्यादातर पौ वहीं होंगे जो अरावली में परंपरागत रुप मे पाए जाते रहे हैं जिनमें ढाक, रोंज, गूगल, करोंदा, नीम, पाकड़, पीपल आदि के होंगे। अरावली में पौधारोपड़ के प्रथम चरण रायसीना, राज का गुज्जर, दमदमा आदि गांवों में इन पौधों का रोपड़ किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि अरावली क्ष्ो
त्र में नब्बे के दशक में ही मेसकाईट नाम के पौधों का बड़े पैमाने पर रोपड़ किया गया था। यह एक प्रकार का फलीदार झाड़ी होती है जो मूल रुप से उत्तरी अमेरिकी पौधा है। अब इन पौधों को खत्म करने के लिए वन विभाग प्रयासरत है और अनुमान किया जा रहा है कि देशी पेड़-पौधों की बड़ी तादात से झाड़ीदार पौध्ो खत्म हो जाएंगे। उल्लेखनीय है कि नब्ब्ो के दशक में बड़ी मात्रा में आरोपित इन पौधों का पर्यावरण संरक्षण से लेकर वन्यजीवों के संरक्षण में कोई योगदान नहीं है। नाही ये पौध्ो यहां के वातावरण के अनूकूल है अतएव देर से ही सही वन विभाग ने अब देशी पौधों की तरफ रुख किया है जिससे पर्यावरण हानि को रोका जा सकता है।



Comments

  1. बहुत ही सुंदर कदम है
    इस तरह तरह की जानकारियां हम तक पहुंचाने के लिए क्योंकि खबरें तो बहुत होती हैं परंतु खोज कुछ मैं ही होती है.....

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