दो दशक में ही डार्क जोन बन जाएगा गुड़गांव

गुड़गांव पहले ही घोषित है डार्क जोन, जोहड़ और तालाब हुए विलुप्त 
अतिक्रमण से लेकर रियल एस्टेट लील गए जलश्रोतों को 
 मानसून की दस्तक सुनने को सभी बेताब हैं लेकिन अब यहां ताल-तलैया और जोहड़ों के लबालब भरे होने का नजारा नहीं दिखता। मेढकों की टर्राहट, झिंगुर और दादुर की आवाज नई पीढ़ी को नहीं पता चलेगा। साईबर सिटी होने की दौड़ ने गुड़गांव की धरती को तो डार्क जोन बना ही दिया है साथ ही यहां पर मौजूद 4० से अधिक जोहड़,तालाब भी विकास की रफ्तार ने कुचल दिया है। कहीं अतिक्रमण की भ्ोंट चढ़ गए तो कहीं रियल एस्टेट के बहुमंजिला इमारतों में दफन हो गए।
गुड़गांव जिले में और आसपास की जगहों पर छोटे-बड़े जलश्रोतों की अनुमानित संख्या 5०० के आसपास हुआ करती थी। लेकिन अब इन जलश्रोतों को खोजना दुर्लभ हो गया है कारण कि आधारभूत संरचनाओं को विकसित करने की होड़ में प्राकृतिक संसाधन नष्ट कर दिए गए। प्रशासन के अनुसार अब महज चंद जोहड़ और तालाब ही निशानी के तौर पर बचे हैं। गुड़गांव तहसील के कुल 81 गांवों के अपने तालाब हुआ करते थ्ो लेकिन अब न वे गांव बचे हैं ना ही तालाब दिखाई देते हैं। दूसरी तरफ शहर में पेयजल को लेकर नए और आधुनिक वाटर टैंक तकरीबन 2० लाख की आबादी की प्यास बुझा पाने में अक्षम साबित हो रहे हैं। जबकि परंपरागत रुप से ये तालाब न केवल गांवों की प्यास बुझाते थ्ो बल्कि सिंचाई के लिए वरदान साबित होते थ्ो। इनके कारण धरती के भूमिगत जल संसाधन रिचार्ज होता था और वर्षा जल का संग्रहण का प्राकृतिक माध्यम हुआ करता था। अब हालात बदल गए हैं और गुड़गांव में लगातार हुए भूमिगत जल के दोहन ने इसे डार्क जोन बना दिया है। गत तीन दशकों में गुड़गांव के हालात पूरी तरह बदल चुकें है और अनुमान किया जा रहा है कि हालात नहीं बदले तो आगामी 15 से 2० सालों में डार्क जोन ब्लैक जोन बन सकता है।
4० जोहड़ो पर खड़ी हो गई थी इमारतें 
सूचना अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में गुड़गांव नगर निगम ने स्वीकार किया है कि जोहड़ो पर अवैध रुप से कब्जा कर उन्हें गायब कर दिया गया है। साईबर सिटी होने की अंधी दौड़ ने यहां के प्राचीन काल के जोहड़ों और तालाबों को भी विलु’ कर दिया है। सरकार, प्रशानिक मशीनरी और भूमाफियों के गठजोड़ ने जोहड़ों को भी अपने लाभ के लिए अधिग्रहण की भ्ोंट चढ़ा दी। अब इन जोहड़ो पर या तो गगनचुंबी इमारते हैं अथवा सड़क और फ्लाईओवर की भ्ोंट चढ़ चुके है। हांलाकि केंद्र सरकार ने भी वर्ष 2०16-2०18 के बजट में 5 लाख कृत्रिम तालाबों के निर्माण का लक्ष्य रखा था, जिसमें प्रदेश सरकार की ओर से बनाए जाने वाले तालाबों के अतिरिक्त निर्माण किया जाना था।
भूजल स्तर 17.०9 मीटर नीचे गया
2००4 से 2०16 के बीच गुड़गांव जिले में भूमिगत जल का स्तर 17.०9 मीटर नीचे गया है। जबकि शहरी ईलाके में यह जल स्तर करीब 28 मीटर नीचे गया है। गुड़गांव के चारों ब्लॉकों का औसत भूजल स्तर 2००4 में 4०.7225 मीटर था वहीं 2०16 में यह बढ़कर 57.8125 मीटर चला गया।




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