अरावली में लौट रही हरियाल
अवैध खनन पर न्यायालय की पैनी नजर ने रोका खनन और पेड़ों कटाई
क्ष्ोत्र में अवैध खनन के कारण तेजी से नष्ट होते हरियाली पर सर्वोच्च न्यायालय से लेकर कई गैर सरकारी संगठन और पर्यावरण कार्यकताã लगातार चिंता प्रगट करते रहे हैं। कुछ दिनों पूर्व तक यह माना जाता था कि यदि अरावली की पहाडिèयों में अवैध खनन और निर्माण नहीं रुके तो जल्द ही यहां से वन्य जीव-जंतु पलायन कर जाएंगे। अरावली की पहाडिèयों में बड़े पैमाने पर निर्माण और पेड़ों की कटाई होती रही है। ऐसे में वन्य जीव पहाड़ों और जंगलों से निकल कर इधर-उधर भागने लगे थ्ो। लेकिन यह सिलसिला अब थम गया है।
विस्फोट से डरते हैं तेंदुआ और वन्यजीव
अरावली क्ष्ोत्र में अवैध खनन के लिए माइनिंग विष्फोट कराया जाता है जिससे डर कर तेंदुआ और अन्य वन्य जीव समीपवर्ती इलाकों में पहुंच जाते थे। तेंदुए कभी भी अपने समूह में नहीं घूमते। सभी तेंदुए का अपना अलग दायरा होता है और ये एक-दूसरे के दायरे में प्रवेश नहीं करते हैं। तेंदुआ लगभग चार से पांच किलोमीटर के दायरे में विचरण करता है। इस हिसाब से इसका दायरा 2० किलोमीटर का होता है।
कौन सी प्रजातियां हो रही हैं लुप्त
अरावली की वादियों में तेंदुए, नीलगाय, गीदड़, कई प्रकार के सांप, जंगली बिल्ली, नेवला, अजगर, खरगोश, काले व भूरे तीतर, मोर आदि पाए जाते हैं। गत दो से तीन दशक पूर्व तक यहां पर शेर, गिद्ध, चील, भेडिèया, हिरण व अन्य पक्षी भी हुआ करते थे। जो क्ष्ोत्र में विकास के नाम पर किए गए खनन, पेड़ों की कटाई और अब गायब हो गए हैं।
तेंदुआ की जानकारी
- तेंदुआ मूलरूप से स्तनधारी जीव है।
- वह बहुत चालाक, रहस्यमयी, मौकापरस्त और फुर्तीला रात को विचरण करने वाला परभक्षी जानवर है।
- नर तेंदुआ 2.15 मीटर लंबे होते हैं जबकि मादाएं लगभग 1.85 मीटर की होती है।
- नर तेंदुआ का वजन लगभग 7० किलोग्राम होता है और मादा का 5० किलोग्राम होता है।
- तेंदुए की आयु लगभग 12 से 16 साल होती है।
अरावली का वन क्षेत्र
अरावली वन संरक्षित क्षेत्र 1373.31 हेक्टेयर
अरावली आरक्षित वन क्षेत्र 175. 67 हेक्टेयर
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