आह अरावली!! कौन सुने तेरी कराह अरावली !!


कुदरत की डकैती है जनाब
अरावली का सीना कौन छलनी कर रहा है ?
शाम ढलते ही खनन माफिया हो जाते हैं सक्रिय ?
अरावली ही नहीं, एनसीआर के अस्तित्व पर है संकट ? 
आह अरावली!! कौन सुने तेरी कराह अरावली !! एनसीआर सहित समूचे उत्तरी भारत का श्वसन तंत्र कहे जाने वाले अरावली का दम घूटने लगा है। राष्ट्र की प्राचीन धरोहर अरावली पर खनन माफिया का बुलडोजर लगातार चल रहा है। अतिक्रमण से लेकर शिकार, पेड़ों की अंधाधूंध कटाई और अवैध खनन इस कुदरती सौगात को खत्म कर रहा है। दूसरी तरफ हरियाली का दायरा सिमट रहा है तो सर्वोच्च अदालत के आदेश को ही बौना साबित करके सैकड़ों बैंक्वेट हॉल, फार्म हाउस और गगनचुंबी इमारतें अरावली क्ष्ोत्र में उगती जा रही है। अरावली की वादियां जहां मोरों और विभिन्न वन्य जीवों के विचरण के लिए जाना जाती थी वहीं शिकारियों की गिद्ध नजर उन पर लग गई है। रायसीना, गैरतपुर बास, मानेसर सहित कई इलाकों में गैर वानिकी कार्य जारी है। एनजीटी ने जब सवाल किया कि पेड़ कहां गायब होते जा रहे हैं तो वन विभाग ने कहा दीमक ही पेड़ों को चट कर जा रहे हैं।
संविधान के राज्य के नीति निदेशक तत्व के अनुच्छेद 48ए के अनुसार राज्य का कर्तव्य है कि वह वनक्ष्ोत्र और वन्य प्राणियों की रक्षा के लिए कदम उठाएगा। यही कारण है कि कुछ दिन पूर्व दिल्ली सरकार ने असोल भटटी के वाईल्ड लाईफ सेचुरी में किए गए अवैध निर्माण को गिरा दिया था। कारण कि दिल्ली और राजस्थान ने पहले ही अरावली को नोटिफाईड एरिया घोषित कर दिया है जहां गैर वानिकी कार्य अपराध की श्रेणी में हैं। लेकिन गत पांच साल से हरियाणा सरकार इसे नोटिफाई करने में टालमटोल कर रही है। नोटिफाईड एरिया घोषित होते ही राजस्व रिकार्ड में भूमि की प्रकृति बदल जाती है और किसी भी तरह के गैरवानिकी कार्य जुर्म हो जाते हैं।
कौन-कौन जिले हैं 
गुड़गांव
फरीदाबाद
मेवात
भिवानी
महेंद्रगढ
पलवल
रेवाड़ी




कुल कितना है एनसीआर में क्ष्ोत्रफल 
एक लाख तेरह हजार हेक्टेयर
हरियाणा के 2०० गांव अरावली की तलहटी में
अरावली की गोद में 3० गांव

तीन अरब, बीस करोड़ वर्ष पुराना है अरावली 
देश के सबसे प्राचीन पहाड़ों में अरावली क्ष्ोत्र की गणना की जाती है। जिसकी उम्र तीन अरब बीस करोड़ वर्ष पुराना बताया जाता है। अरावली का क्ष्ोत्रफल हरियाणा में एक लाख तेरह हजार हेक्टेयर है। देश के पर्वत श्रृंखलाओं की बात करें तो मोड़दार पर्वतों में अरावली का नाम सबसे पहले आता है।

बंधवाड़ी क्ष्ोत्र में पसर रहा है कैंसर 
बंधवाड़ी में 25 लाख टन के कूड़े का पहाड़ खड़ा हो चुका है। 15०० टन कूड़ा रोज डाला जा रहा है। हालात यह है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गत सितम्बर में अपनी रिर्पोट में कहा था कि डेढ़ किमी के दायरे का भूजल मनुष्य तो क्या जानवर के पीने लायक भी नहीं है। गत पांच साल में बंधवाड़ी में 1००-15० लोगों की मौत का कारण कैंसर जैसी बीमारी रही है। पर्यावरण कार्यकताã इसे संस्थागत नरसंहार कहते हैं जो प्रदूषित पेयजल के कारण हो रहा है। हैरान करने वाली बात यह है केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय की ओर से इसके लिए कोई अनुमति न होने के बावजूद इसे सामान्य क्ष्ोत्र मानकर कूड़ा डंप करने का कार्य किया जा रहा है।
जून 2०17 फरीदाबाद में भारती एयर टेल ने हरियाणा सरकार की नीतिगत खामियों का लाभ उठाकर 52 एकड़ गैरमुमकीन पहाड़ क्ष्ोत्र को ले लिया। इतना ही नहीं, इस जमीन पर मौजूद करीब 1० हजार पेड़ों को काट डाला गया था। सराय ख्वाजा क्ष्ोत्र में की गई इस पर्यावरण हत्या का मुददा वक्त के साथ दब गया लेकिन हरियाणा सरकार अरावली क्ष्ोत्र को नोटिफाईड घोषित करने में पांच साल से टालमटोल कर रही है।

156० करोड़ रुपए का ईधन फूंकते हैं शहर के अंदर
कार्बन डाई आक्साईड के उत्सर्जन को लेकर देखा जाए तो सर्वाधिक टैक्सी कैब और ऑटो मिलकर 127 फीसदी उत्सर्जन करते हैं। जबकि बाईक चालकों से 31 फीसदी कार्बन डाई आक्साईड का उत्सर्जन होता है। पेटàोल से चलने वाले कारों का 26 फीसदी योगदान है। गुड़गांव में प्रतिदिन यात्रा करने वाले वाहन तकरीबन ०.35 मिलियन टन कार्बन डाई आक्साईड का उत्सर्जन करते हैं। जिसे साफ करने के लिए 1 करोड़ 6० लाख पेड़ों की जरुरत है। दूसरी तरफ रोजाना ही अरावली में पेड़ों कटाई जारी है।


दस साल में 8० फीसदी पानी हुआ खत्म
साल 2००5 से 2०15 के बीच गुड़गांव और आसपास भूजल स्तर 82 फीसदी खत्म हुआ है। साल 2०16 में यह जहां 36.21 मीटर नीचे गया जो कि साल 2००6 में 19.85 मीटर था। केंद्रीय भूजल मंत्रालय के अनुसार लगातार घटते हरियाली, अवैध तरीके से जलदोहन, भूजल रिचार्ज के सबसे बड़े श्र्रोत अरावली के जल गर्तिकाओं, तालाबों और गढडो पर अवैध अतिक्रमण या बिल्डरों का पसर जाना गुड़गांव सहित पूरे एनसीआर के लिए संकट खड़ा कर रहा है।

कब-क्या हुआ ?
1- रायसीना इलाके में दो निर्माण ध्वस्त किए गए। दस हजार से अधिक एकड़ भूमि पर गैर वानिकी कार्य किए गए है।
2-यहां पर स्कूल, गौशाला, मंदिर, फार्म हाउस, बैक्वेट हाल से लेकर ऊंची-ऊंची इमारतें तक बना दी गईं।
3-रायसीना इलाके में 1० से अधिक नए फार्म हाउस बनाए गए।
4-पत्थर चोरी व पेड़ों की कटाई बेखौफ जारी है।
5-पेड़ों की कटाई और पत्थरों को तोड़ने, ढोंने का काम रात दस बजे से सुबह छह बजे तक होता है। बल्कि इसी दौरान अवैध निर्माण कार्य भी किए जाते हैं।
6-9 दिसम्बर को बादशाहपुर थाने में दर्ज शिकायत में कहा गया कि गोल्फ कोर्स पर टाटा रायसीना रेजिडेंसी के पास वन्य जीवों का अवैध शिकार रुक नहीं रहा है।
7-तकरीबन 46 एकड़ ग्राम पंचायत की भूमि को मिलीभगत करके एक प्राईवेट बिल्डर को बेच दिया गया है।
8- सोहना में पांच फार्म हाउस और एक स्कूल के लिए ही सरकारी आदेश निर्गत किया गया जबकि करीब 19० फार्म हाउस अवैध तरीके से निर्मित किए गए हैं।
9-अवैध खनन के लिए भोंडसी, खेड़कीदौला, फरखनगर और बादशाहपुर से सर्वाधिक शिकायते आ रही है, जिन पर रोक लगा पाने में सक्षम तंत्र विफल साबित हो रहा है।

एक्शन प्लान में कब क्या होना था 
- गुड़गांव म्ों 11, मेवात में 15 और फरीदाबाद में 9 चेकपोस्ट काम करेंगे।
-चौबीस घंटे पेटàोलिंग की शुरुआत होगी ।
- क्ष्ोत्र के निगरानी के लिए डàोन की खरीददारी होगी।
-अरावली क्ष्ोत्र के सभी जलाशयों और गढडों का जलभराव होगा।
-अरावली क्ष्ोत्र में गैर सरकारी संगठनों की मदद से पौधारोपण शुरु होगा।
-टोल फ्री नंबर काम करना शुरु करेगा।

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